परिश्रमी रॉबिन रूस के सोची में 1 से 7 मार्च तक होने वाले वर्ल्ड यूथ फेस्टिवल में भारत का प्रतिनिधित्व करने हेतु कल दिल्ली से रूस के लिए उड़ान भरेंगे।

मां भारती को नमन करते ह7के अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करके विदेश में अपने देश की संस्कृति और इतिहास से पूरी दुनिया को परिचित करवाना सचमुच में गौरवान्वित करने वाला पल होता है। मुझे यह सुअवसर मिला है और मैं मां भारती के चरणों में नमन करता हूं जिनकी सेवा करते हुए मैं रूस से सोची शहर में होने वाले विश्व युवा सम्मेलन में 360 भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने जा रहा हूं।”

….ये अनमोल प्रेरक शब्द हैं 53 मील (कांगड़ा) के रॉबिन कुमार के।

पूजनीय माता श्रीमती सुनीता व पिताश्री श्री जनक राज के होनहार सुपुत्र एवं श्रीमती बबिता के पति श्री रॉबिन कुमार जोकि डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा कार्यालय में कार्यरत हैं।

जन-जन के प्रिय, हंसमुख, मिलनसार, परिश्रमी रॉबिन रूस के सोची में 1 से 7 मार्च तक होने वाले वर्ल्ड यूथ फेस्टिवल में भारत का प्रतिनिधित्व करने हेतु कल दिल्ली से रूस के लिए उड़ान भरेंगे। वह आज, अभी 10 बजे नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि इस फेस्टिवल के जो नेशनल प्रीपेरेटरी कमेटी बनी है रॉबिन कुमार उसके कम्युनिकेशन इन्चार्ज हैं और वह पूरे भारत वर्ष से युवाओं को चयन करके वर्ल्ड यूथ सम्मेलन में लेकर जा रहे हैं।

“यूँ ही नहीं मिलती राही को मंजिल,
एक जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है,
पूंछा चिड़िया से… कैसे बना आशियाना?
बोली–
भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार
तिनका-तिनका उठाना होता है!”
उनकी होनहार प्रेरक प्रिय बहन पल्लवी ‘मनी’ के भाई रॉबिन का कहना है कि यह काम बहुत मुश्किल था लेकिन जैसे-जैसे कदम बढ़ाते गए मंजिल करीब आती गई। सभी कठिनाईयों का मुकाबला करते हुए आज हम रूस जा रहे हैं तो मन में नई उमंग और जोश है।

यहां आपको बताते चलें कि जब कॉविड अपने चरम पर था तो रोबिन कुमार ने दिन-रात एक करके जनमानस की दिल की गहराइयों से सेवा की थी तथा अपना एक विशेष नाम स्थापित किया था। रॉबिन की इन उपलब्धियां को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस उपलब्धि के लिए उन्हें मिशन अगेंस्ट करप्शन सोसाइटी, हिमाचल प्रदेश द्वारा सम्मानित भी किया गया था।

कई पदों की जिम्मेवारियां संभाल चुके रॉबिन बताते हैं कि इस सम्मेलन में 180 देशों के प्रतिनिधिमंडल भाग लेंगे और 2017 के सात साल बाद ये सम्मेलन होने जा रहा है। तब भी हमें रूस जा कर प्रतिनिधित्व करने का सुअवसर मिला था।

रॉबिन बड़े गर्व से कहते हैं कि वहां हमने अपनी लोक संस्कृति का प्रसार करना है। 18 से 35 वर्ष के युवाओं को विभिन्न चरणों की प्रक्रिया के बाद चयनित किया गया है। इसमें हर कैंडीडेट की शैक्षणिक योग्यता, लेखन प्रतिभा, बोलने की शैली समेत हर पहलू को ध्यान से आंका गया।

एक कैंडीडेट के पैर नहीं, दूसरे की आंखें
रॉबिन बताते हैं कि हमने निष्पक्षता के साथ चयन प्रक्रिया मुकम्मल की और हर उस युवा का साथ चलने का अवसर दिया है जिसमें ऊर्जा का समुद्र भरा हो। जैसे कि जेएनयू का एक स्टूडेंट हमारे प्रतिनिधिमंडल में शामिल है जिसके दोनों पैर नहीं हैं और वे व्हीलचेयर के सहारे दिनचर्या पूरी करता है वहीं एक प्रतिभावान युवा नेत्रहीन है।
रॉबिन ने बताया कि विभिन्न ओरिएंटेशन प्रोग्रामों में इन युवाओं को चयनित किया गया है।

व्लीदीमिर पुतिन को सौंपेंगे श्रीमदभागवत गीता
रॉबिन ने कहा कि अगर उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन को मिलने का अवसर मिला या उन्हें किसी भी माध्यम से कुछ सौंपने का अवसर मिला तो वे श्रीमदभागवत गीता की प्रति उन्हें सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि कई केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें व उनकी पूरी टीम को शुभकामनाएं भेजी हैं और वे इसके लिए सबका धन्यवाद करते हैं।

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