भूमिगत जल के लिए नुकसान दायक है यह पेड़ दिल्ली समेत कई राज्यों में काटने के लिए बनाई जा रही है योजना


भूमिगत जल के घटते स्तर को देखते हुए सभी राज्यों में पौधारोपण अभियान जोरसोर से चल रहा है, जिससे की भूमिगत जल के स्तर को खतरे के बिन्दू से उपर लाया जा सकें। इसके लिए केंद्र सरकार और सभी राज्यों सरकारे ने विभिन्न प्रकार के पौधारोपण के अभियान चलाएं हैं। इन अभियानों को जनता का भी पुरा सहयोग मिल रहा है तथा हर स्थान पर पौधारोपण किया जा रहा है।

इसी संर्दभ में एक जानकारी हैसी भी आई है जिसने सबको हैरान कर दिया है। जिसके अनुसार कीकर का पेड़ हैसा है जो कि भूमिगत जल के लिए खतरा है। दिल्ली के वन क्षेत्र में विलायती कीकर डोमिर्नेंटग ट्री की तरह हैं। इसी खतरे को देखते हुए विभिन्न बायो डायवर्सिटी पार्कों में कीकर को हटाने के योजनाए बनाई हैं, ताकि इससे भूमिगत के खतरे को कम किया जा सके।


दिल्ली में सबसे पहले इस पर फैसला लिया है। विभिन्न बायो डायवर्सिटी पार्कों में कीकर को हटाने के लिए परियोजनाएं तो चल रही हैं, लेकिन कोलोनियों व गांवों के पार्कों और हरित क्षेत्रों में फैले कीकर को हटाने आसान नहीं है। ट्री एक्ट में संरक्षण प्राप्त होने के कारण कीकर को काटने या हटाने में कानूनी अड़चनें हैं। बायो डायवर्सिटी पार्कों में भी कीकर के एक.एक पेड़ को हटाने के लिए हमें वन विभाग से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।

जटिल है खत्म करने की प्रक्रिया

बिना काटे कीकर को खत्म करने की प्रक्रिया काफी जटिल है। पहले कीकर के पेड़ की टहनियों को काटकर कैनोपी बनाकर इसकी छाया खत्म की जाती है। फिर इसके आसपास देशज पेड़.पौधे लगाए जाते हैं। जब ये पौधे बड़े हो जाते हैं तो इनकी छाया से कीकर की ठूंठ को सूर्य की पर्याप्त रोशनी नहीं मिल पाती है, जिससे वह धीरे-धीरे सूख जाता है। कैनोपी बनाने के लिए सर्दी का मौसम सबसे उपयुक्त होता है क्योंकि इस दौरान सूर्य की पर्याप्त रोशनी नहीं मिलती है जिससे पौधों की ग्रोथ कम होती है। एक बार जहां पर कीकर समाप्त हो जाता है तो उसके आसपास कीकर के नए पौधे दोबारा नहीं उगने दिए जाते हैं।


भू-जल स्तर के लिए भी खतरा :- देशज पेड़ों की जड़ें पानी को ऊपर खींचती हैंए जिससे भूजल स्तर ऊपर उठता है जबकि कीकर की जड़ें बहुत गहरे तक जाती हैं। इसलिए ये बहुत गहराई तक जाकर पानी को सोख लेती हैं। यही वजह है कि कीकर के आसपास की जमीन का भूजल स्तर और गिरता जाता है। यही कारण है कि कीकर का पेड़ हर जगह आसानी से उग जाता है और तेजी से बढ़ता है। खुद जीवित रहने के लिए कीकर देशज पेड़.पौधों की तुलना में ज्यादा पोषक तत्व व पानी का दोहन करता हैए इसलिए इसके आसपास अन्य पेड़.पौधों के लिए पोषक तत्व बचते ही नहीं हैं। इसके बीजों का जर्मिनेशन भी देशज पेड़.पौधों की तुलना में 90 फीसद अधिक होता है। ऐसे में जहां कहीं भी इसका एक पेड़ उगता है थोड़े ही समय में वहां पर कीकर का घना जंगल तैयार हो जाता है।

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